सावन पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में संतान प्राप्ति और सुख-संपन्न जीवन के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है।जाने कब है इस वर्ष सावन पुत्रदा एकादशी, जाने पर्व को करने का शुभ मुहूर्त और विधि हर साल यह व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। जानिए 2025 में यह एकादशी कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, व्रत का महत्व और पारण का समय।
हर वर्ष दो बार—पौष और श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। मुख्यतः यह व्रत उस माता-पिता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। 2025 में पौष मास की पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी और श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी अगस्त में पड़ेगी।
क्यों मनाया जाता है? सावन पुत्रदा एकादशी
हिंदू धर्माधर्म के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से श्रद्धालु को पुण्य प्राप्त होता है और विशेष रूप से उन्हें योग्य संतान की प्राप्ति का फल मिलता है। ऐसा विश्वास है कि जो दंपती संतान सुख से वंचित हैं, वे इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करें तो संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह भी मान्यता है कि व्रत से पितरों को भी तृप्ति मिलती है तथा गृहस्थ जीवन में समृद्धि आती है।
धर्मग्रंथों में विवेचन
पद्म पुराण और भविष्य पुराण में पुत्रदा एकादशी व्रत का विस्तार से उल्लेख है। कथाओं के अनुसार, एक प्राचीन काल में महिष्मती नगरी के राजा सूकेतुमि व उनकी रानी शैव्या को संतान नहीं थी। नारद मुनि के उपदेश से उन्होंने पौष शुक्ल एकादशी का व्रत किया, जिसके प्रभाव से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। धर्मग्रंथों में इसे व्रत, उपवास, रात्रि जागरण, श्रीहरि पूजन और कथा श्रवण के साथ किया जाता है।
व्रत-पालन विधि,सावन पुत्रदा एकादशी का
- व्रतधारी सनान करके, भगवान विष्णु की पूजा, व्रत कथा श्रवण, एकादशी रात्रि जागरण एवं दान-पुण्य करते हैं।
- सेवन में फलाहार का अनुसरण करते हैं और द्वादशी (अगले दिन) व्रत का पारण करते हैं।
पुत्रदा एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है और उनके पूजन, कथा-वाचन एवं उपवास के द्वारा मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग का प्रशस्त होता है।
सावन पुत्रदा एकादशी कब है 2025 में?
- इस वर्ष सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।
- एकादशी तिथि शुरू होगी 4 अगस्त को सुबह 11:41 अपराह्म बजे और समाप्त होगी 5 अगस्त को दोपहर 01:12 पूर्वाहम बजे
व्रत पारण (उपवास तोड़ने) का समय:
- व्रत का पारण 6 अगस्त 2025 को किया जाएगा।
- पारण का शुभ समय: सुबह 05:45 बजे से 08:26 बजे तक रहेगा।
- द्वादशी तिथि समाप्ति: 6 अगस्त दोपहर 02:08 बजे।
पूजन के शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:20 से 05:02 बजे तक रवि योग: सुबह 05:45 से 11:23 बजे तक अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:54 बजे तक संध्या पूजा: शाम 07:09 से 07:30 बजे तक इस एकादशी पर भद्रा काल भी है, जो सुबह 05:45 से दोपहर 01:12 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा से बचें
पूजा विधि (How to Worship on Sawan Putrada Ekadashi):
- व्रतधारी सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता, शिवजी और माता पार्वती की विधिवत पूजा करें।
- भगवान को पंचामृत, ताजा फूल, चंदन, वस्त्र आदि अर्पित करें।
- दीप जलाकर आरती करें। विष्णु सहस्रनाम, शिव चालीसा या एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में प्रसाद वितरण करें और दान-दक्षिणा करें।
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व्रत का फल (व्रत रखने का लाभ):
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से धार्मिक, मानसिक और पारिवारिक सुख-शांति मिलती है। यह व्रत मुख्य रूप से संतान की कामना और संतान के उज्ज्वल भविष्य, दीर्घायु, स्वास्थ्य लाभ, जीवन में समृद्धि और सौभाग्य को बढ़ाता है। निसंतान दंपती भी इस व्रत से संतान प्राप्ति की कामना पूरी कर सकते हैं।
सच्चे मन से विधि पूर्वक जो भी श्रद्धालु सावन पुत्रदा एकादशी पर्व को करता है उसकी मनोकामना ईश्वर की कृपा से जरूर पूरी होती है। सावन की इस एकादशी पर्व को ज्यादातर महिलाए पुत्र प्राप्ति की उद्देश्य से करती है। श्री हरी भगवान विष्णु की कृपा से उनकी मुरादे पूरी होती है। काहा जाता है श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रभु की उपाशना की जाये तो अनहोनी भी टल जाता है।
सावधानियां:
एकादशी के दिन अनाज, चावल, मसूर दाल आदि का त्याग करें। भद्रा काल के दौरान पूजन से बचें
इस प्रकार, सावन पुत्रदा एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पारिवारिक सुख और संतान प्राप्ति के लिए भी विशेष मानी जाती है। विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने पर भक्तों को भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।