हर साल सावन माह में आने वाली सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और शुभ त्योहारों में गिनी जाती है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, और विशेष रूप से उत्तर भारत, मध्य भारत, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, और नेपाल में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 23 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा।
Sawan Shivratri 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 23 जुलाई 2025, बुधवार
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 23 जुलाई, सुबह 4:39 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 24 जुलाई, सुबह 2:28 बजे
- निशिता काल पूजा मुहूर्त: 23 जुलाई की रात 12:01 AM से 12:45 AM तक
यह समय भगवान शिव की आराधना और शिवलिंग अभिषेक के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
सावन शिवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
सावन शिवरात्रि का पर्व शिवभक्तों के लिए अत्यंत विशेष है क्योंकि यह पूरे सावन माह में आने वाली सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि होती है। सावन का महीना स्वयं भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, और इस दौरान उनकी पूजा, व्रत, अभिषेक और रात्रि जागरण का विशेष महत्व हैयह समय भगवान शिव की आराधना और शिवलिंग अभिषेक के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
- पौराणिक कथा: मान्यता है कि इसी माह में समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। माता पार्वती ने उनके कंठ को अपनी हथेली से दबाकर विष को पेट में जाने से रोका। इसी कारण भक्त सावन में शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, शहद आदि चढ़ाकर शिवजी के कष्ट को कम करने का प्रयास करते हैं।
- मनोकामना पूर्ति: ऐसा माना जाता है कि सावन शिवरात्रि का व्रत रखने और रात्रि जागरण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। विशेष रूप से अविवाहित कन्याएं इस दिन व्रत रखकर उत्तम वर की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं
- सामूहिकता: इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा, रुद्राभिषेक, भजन-कीर्तन और शिव बारात का आयोजन होता है। कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व है, जिसमें शिवभक्त गंगाजल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
सावन शिवरात्रि व्रत एवं पूजा विधि
सावन शिवरात्रि के दिन भक्त पारंपरिक विधि से व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। यहां जानिए पूजा की संपूर्ण विधि:
- प्रातः स्नान एवं संकल्प:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। - मंदिर या घर में शिवलिंग की स्थापना:
पूजा स्थल को साफ करें और शिवलिंग की स्थापना करें। यदि संभव हो तो मिट्टी या धातु के शिवलिंग का उपयोग करें। - अभिषेक:
शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से अभिषेक करें। बिल्वपत्र, धतूरा, आक, भांग, सफेद फूल, चंदन आदि अर्पित करें। - शिव मंत्र जप:
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। रुद्राष्टक, शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र आदि का पाठ करें। - रात्रि जागरण:
शिवरात्रि की रात को जागरण करें, भजन-कीर्तन करें और शिवलिंग पर दीप जलाएं। - अर्पण एवं भोग:
भगवान शिव को फल, मिठाई, पंचामृत और भांग का भोग लगाएं। - अंत में आरती:
शिवजी की आरती करें और परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें।
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सावन शिवरात्रि व्रत के नियम
- व्रती को दिनभर फलाहार या केवल जल ग्रहण करना चाहिए।
- मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
- किसी से कटु वचन न बोलें और झूठ न बोलें।
- रात्रि में भगवान शिव का ध्यान करें और पूजा स्थल पर ही सोएं।
सावन शिवरात्रि 2025: क्षेत्रीय विविधता
- उत्तर भारत: यहां सावन शिवरात्रि को बहुत भव्यता से मनाया जाता है। मंदिरों में लंबी कतारें लगती हैं, और कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है।
- दक्षिण भारत: यहां इसे ‘आषाढ़ शिवरात्रि’ भी कहा जाता है। पूजा विधि में कुछ भिन्नताएं हो सकती हैं, लेकिन शिव आराधना का भाव एक जैसा रहता है।
- पश्चिम और मध्य भारत: महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि में भी शिवरात्रि का पर्व श्रद्धा से मनाया जाता है।
सावन शिवरात्रि के दौरान क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, शहद, पंचामृत, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग आदि चढ़ाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
- गरीबों को भोजन, वस्त्र, और दान दें।
क्या न करें:
- तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि) का सेवन न करें।
- व्रत के दौरान क्रोध, झूठ और छल से बचें।
- शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते, केतकी के फूल, हल्दी, और नारियल जल न चढ़ाएं।
सावन शिवरात्रि 2025: सामाजिक और आध्यात्मिक संदेश
सावन शिवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, संयम, और भक्ति का भी उत्सव है। यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में विषमताओं को धैर्य और भक्ति से पार किया जा सकता है। भगवान शिव का आदर्श अपनाकर हम अपने जीवन को भी सकारात्मक और संतुलित बना सकते हैं।
निष्कर्ष
Sawan Shivratri – 23 जुलाई 2025, बुधवार को आने वाला यह पर्व शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी है। इस दिन व्रत, पूजा, और रात्रि जागरण से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। चाहे आप घर पर पूजा करें या मंदिर जाएं, इस पावन अवसर पर सच्चे मन से शिव आराधना करें और अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।